अनूपपुर: कैंटीन संचालन के नाम पर भ्रष्टाचार, नैक विजिट के नाम पर शुरू हुआ खेल

फर्म संचालक से सांठ-गांठ कर किया लाखों का भ्रष्टाचार

उच्च शिक्षा विभाग में जमकर हो रही धांधली कोई नहीं दे रहा ध्यान


अनूपपुर।
शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर में कैंटीन संचालक के नाम पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सूचना के अधिकार के तहत चाही गई जानकारी के अनुसार दी गई जानकारी के आधार पर महाविद्यालय परिसर में कैंटीन संचालन हेतु 11-06-2020 को निविदा प्रकाशित की गई थी जिसमें तीन फार्मो ने अपने नाम कैंटीन संचालक के लिए दिया था जिनमें दिनेश कुमार मिश्रा 12800, रजत कुमार मिश्रा 17000, और आशुतोष सोनी ने 14800 अपने फर्म के नाम पर निविदा डाली थी। वहीं निविदा में सर्वाधिक राशि वाले फर्म रजत कुमार मिश्रा को तुलसी महाविद्यालय प्रबंधन समिति ने 17000 वार्षिक किराया के रूप में जन भागीदारी समिति में जमा करने की अनुशंसा की थी। लेकिन उनकी यह अनुशंसा महज दिखावे और कागज तक ही रह गई। सूचना के अधिकार  चाही गई जानकारी में दी गई जानकारी के अनुसार यह राशि तीन किस्तों में जमा की जानी थी लेकिन निविदा आमंत्रण के नियमों को दरकिनार करते हुए प्रबंधन समिति तुलसी महाविद्यालय ने अपने चहेते रजत कुमार मिश्रा को ₹17000 वार्षिक किराए के रूप में कैंटीन खोलने की अनुमति तो दे दी लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी उससे किसी प्रकार का किराया नहीं लिया गया और फर्म संचालक रजत कुमार मिश्रा द्वारा जून 2020 से लगातार तुलसी महाविद्यालय परिसर में कैंटीन का संचालन करता आया है।

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी

वहीं सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जब इसकी जानकारी 15 दिसंबर 2024 को चाही गई तब लोक सूचना अधिकारी तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर शाहबाज खान से पता चला कि तत्काल दिनांक तक किसी प्रकार की राशि जन भागीदारी समिति में जमा नहीं की गई है ऐसे में प्रबंधन समिति तुलसी महाविद्यालय द्वारा आनन- फानन में उक्त फर्म के नाम पर किसी दूसरे व्यक्ति अभिषेक तिवारी के नाम से कैंटीन रेंट के नाम पर 16 जनवरी 2025 को 1500 दिसम्बर माह और 1500 रुपये जनवरी माह के नाम पर जन भागीदारी समिति शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर के खाते में जमा कराया गया।

आखिर कहां गया 5 साल का किराया

जन भागीदारी प्रबंधन समिति शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर में मुख्य रूप से डॉक्टर जे के संत डॉक्टर सुश्री पूनम धांडे, एवं डॉक्टर अजय राज सिंह राठौड़ शामिल है लेकिन रजत कुमार मिश्रा फर्म के नाम पर कैंटीन संचालक की अनुमति तो दे दी गई लेकिन उक्त प्रबंधन समिति से 5 साल तक किराया क्यों नहीं लिया गया? जैसे ही सूचना का अधिकार लगाया गया उसके पश्चात दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 का किराया 1500-1500 रुपए खाते में जमा करा दिए गए। अब सवाल यह उठता है कि आखिर बीते 5 साल का किराया जो कि लगभग 85000 होता है वह कहां गया? और इसे उक्त फॉर्म संचालक से क्यों जमा नहीं कराया गया? मिली जानकारी के अनुसार महाविद्यालय परिसर में कैंटीन का संचालन जून 2020 से मार्च 2025 तक नियमित रूप से हुआ है जिसका किराया लगभग लाखों में पहुंच जाता है लेकिन उक्त फॉर्म के द्वारा अब तक महज ₹3000 जमा कराए गए हैं।

आखिर क्यों मेहरबान है महाविद्यालय प्रबंधन

निविदा आमंत्रण के नाम पर शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर प्रबंधन समिति ने फर्म रजत कुमार मिश्रा संचालक को 17000 रुपए वार्षिक किराए पर जगह दी गई थी लेकिन इस फर्म संचालक को 5 वर्ष तक बिना किराए के महाविद्यालय परिसर में कैंटीन संचालक करने की अनुमति भी दे दी गई आखिर महाविद्यालय प्रबंधन इस फॉर्म संचालक के ऊपर इतना मेहरबान क्यों है? आखिर इसके पीछे क्या माजरा है ? या फिर यह फॉर्म संचालक एबीवीपी का बड़ा पदाधिकारी होने के नाते महाविद्यालय पर किसी प्रकार का दबाव बनाकर रखा है। लेकिन नियम तो सभी के लिए बराबर होते हैं फिर महाविद्यालय प्रबंधन जिसमें तीन बड़े प्रोफेसर्स के नाम शामिल है और यह तीनों एक फर्म संचालक के दबाव में कैसे आ गए और बिना किराए के 5 वर्षों तक उसे अनुमति कैसे दे दी गई?

महाविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही हुई उजागर

शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर में यूं तो आए दिन कुछ ना कुछ मामला सामने आता रहता है चाहे वह छात्रों को परेशान करने का हो या फिर जन भागीदारी की राशि में छेड़खानी करने का ऐसे में कैंटीन संचालक के नाम पर की गई गड़बड़ी निश्चित तौर पर महाविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करता है। अब बड़ा सवाल यह है कि इस पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती और यह अपने आप को पाक साफ बात कर निकल जाते हैं। हालांकि वर्तमान प्राचार्य डॉ अनिल कुमार सक्सेना भी इसी राह पर चल रहे हैं उनके पदभार ग्रहण करने के पश्चात भी कैंटीन में ना तो कोई व्यवस्था है और ना ही किसी प्रकार की राशि अब तक जमा कराई गई है ऐसे में महाविद्यालय प्रबंधन कैंटीन संचालक के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार कर रही है।

प्राचार्य ने कहा नैक को दिखाने शुरू किया था कैंटीन

शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर में पदस्थ प्राचार्य डॉक्टर अनिल सक्सेना जो अपने आप को मठाधीस समझते हैं उनके आते ही महाविद्यालय में ऐसी चाल चली गई जिसको सुनकर हर कोई हैरान रह जाएगा महाविद्यालय के प्राचार्य ने यह बात स्वयं स्वीकार किया है और अपने जुबान से कहा है कि महाविद्यालय में नैक टीम का विजिट होना था और उसको दिखाने के लिए हमने पांच वर्ष पूर्व में आमंत्रित निविदा से ही फर्म संचालक को बुला लिया और 5-6 माह के लिए महाविद्यालय में कैंटीन को संचालित कर दिया। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि उच्च शिक्षा के उच्च पदों पर बैठे यह अधिकारी किस हद तक गुजर सकते हैं और अपना क्रेडिट लेने के लिए किस हद तक नियमों के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं इसका सीधा-सादा उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत है। महाविद्यालय के प्रचार से जब इस मामले पर बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमें सिर्फ विजिट टीम को दिखाना था इसलिए हमने ऐसा किया यदि आपको भी कैंटीन लेना हो तो आप हमसे बात करिए बाकी महाविद्यालय के विकास से हमें कोई लेना-देना नहीं है।

इनका कहना है-

महाविद्यालय में नैक टीम का विजिट होना था जिसको दिखाने के लिए हमारे द्वारा कैंटीन को जीवित किया गया था विजिट पूरा हो चुका है अब हमें कोई मतलब नहीं है। हम जिसको चाहेंगे उसको कैंटीन चलाने की अनुमति देंगे।
डॉ अनिल सक्सेना, प्राचार्य
शासकीय तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर

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